Ganesh Prasad Agarwal-एक छोटी किराने की दुकान से 100 करोड़ के कारोबार का सफर कैसे तय किया।
अगर दिल मे जुनून हो तो कुछ भी किया जा सकता है। अगर दिल मे कुछ करने की आग होतो दुनिया को झुकाया जा सकता है । कुछ ऐसी ही कहानी है एक ऐसे शख्स की जिंसने शुरुआत एक किराने की दुकान से की थी लेकिन आज भारत के सबसे बड़े क्षेत्रीय खाद्य ब्रांड के मालिक है । इस कंपनी के सालाना टर्नओवर को जानकर आप चौंक जाएंगे । इनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर है 100 करोड़ रुपए।
आज हम बात करेंगे एक ऐसे शख्स की जिसकी कहानी को सुनकर आपके भी सपनो के पंख लग जाएंगे ओर आपमे भी कुछ कर गुजरने की आग दहक उठेगी ।
ये कहानी है प्रिया फ़ूड प्रोडक्ट्स लिमिटेड के मालिक गणेश अग्रवाल (Ganesh Prasad Agarwal) की । इनका जन्म कोलकाता से 20 किलोमीटर दूर एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था । इनके पिता वही एक छोटी किराने की दुकान चलाते थे । गणेश भी अपने पिताजी के साथ इसी दुकान पर बैठते थे । घर की आर्थिक स्तिथि अच्छी नही थी फिर भी इनके पिताजी गणेश को हमेशा अपनी पढ़ाई में ही ध्यान देने को कहते रहते थे । गणेश अपनी पढ़ाई के साथ साथ ट्यूशन भी करवाते थे ।
गणेश ने जब अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली तो ये अपने पिताजी के साथ दुकान पर काम में हाथ बंटाने लगे क्योकि सात लोगो के परिवार को चलाना अब आसान नही रह गया था । गणेश ने लगातार 14 साल का समय अपनी उस किराने की दुकान में ही निकाला ।
लगातार 14 साल दुकान चलाते चलाते Ganesh Prasad Agarwal कुछ अलग और बढ़ा करने के बारे में सोचने लगे । उन्हें इतने दिन काम करने के बाद इस बात का अंदाजा हो ही गया था कि खाने पीने के सामान की मांग कभी घटती नही है ये जनसंख्या के अनुसार हमेशा बढ़ती ही रहती है । इसी विचार के साथ उन्होंने 1986 में अपनी प्रोपर्टी को गिरवी रखकर और कुछ पैसे उधार लेकर 25 लाख रुपय जुटाकर बिस्किट बनाने की फैक्ट्री की आधारशिला रखी । फेक्ट्री के लिए 2 एकड़ की जमीन अपने घर पनिहाटी के पास ली और जरूरी उपकरण , 50 बिस्किट बनाने वाले मजदूर भी इन्होंने रखे ।
Ganesh Prasad Agarwal बाजार की नब्ज अच्छे से जानते थे इसलिए उन्हें पता था कि बाजार में पहले से ही पार्ले जी और ब्रिटानिया जैसे दिग्गज है जिन्हें चुनौती देने के लिए एक अच्छी रणनीति और शानदार मार्केटिंग की आवश्यकता होगी इसलिए शुरुआत में इन्होंने 5 लोगो की एक टीम बनाई जो घर घर जाकर लोगो को प्रिया कंपनी के प्रोडक्ट्स की जानकारी देती थी।
इन्होंने नए नए प्रयोग करने शुरू किए और ग्लूकोज और नारियल के बिस्किट भी बनाने शुरू कर दिए । इनकी कम्पनी का एक ही उद्देश्य था कि कम कीमत में बहुत अच्छा माल लोगो को मिले और ये इसमे जब सफल हुए तो लोगो ने इनके प्रोडक्ट को अपने घर में जगह देना शुरू कर दिया । इसके बाद इन्होंने दूसरे क्षेत्र में भी हाथ आजमाने का निश्चय किया और 2005 में रिलायबल नाम से आलू चिप्स और स्नैक्स का काम शुरू किया । 2012 में सोया नगेट्स की फैक्ट्री डाली ।
आज Ganesh Prasad Agarwal की फेक्ट्री से 100 टन माल का रोज उत्पादन होता है । वर्तमान में इनकी कम्पनी के 9 अलग अलग जगहों पर प्लांट चल रहे है । इन प्लांटो में 36 प्रकार के बिस्किट और पन्द्रह तरीके के स्नैक्स तैयार किये जाते है । इनका मार्किट पश्चिम बंगाल , बिहार , झारखंड , ओडिशा में है जहाँ ये काफी पॉपुलर है ।
गणेश अग्रवाल की सफलता की कहानी से यही सीख मिलती है कि अगर सोच बड़ी हो और कुछ कर गुजरने का माद्दा दिल मे हो तो कुछ भी सम्भव है ।
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